नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कांग्रेस में शामिल हुए 10 बीआरएस विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया.
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि अयोग्यता याचिकाओं का सामना कर रहे विधायकों को कार्यवाही को लंबा खींचने की अनुमति न दी जाए. साथ ही ये कहाकि यदि वे ऐसा करते हैं, तो अध्यक्ष उनके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल सकते हैं. इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने विभिन्न राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों द्वारा वर्षों से अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में हो रही देरी की निंदा की. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अध्यक्ष से केवल 4 सप्ताह की अवधि के भीतर सुनवाई का कार्यक्रम तय करने को कहा था. पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, एकल न्यायाधीश ने अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया था… उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप करके गलती की है. पीठ ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत एक न्यायिक प्राधिकारी के रूप में कार्य करते हुए अध्यक्ष को संविधान के अनुच्छेद 122 या 212 के तहत संवैधानिक छूट प्राप्त नहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, वर्तमान अपीलें स्वीकार की जाती हैं. उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा पारित 22 नवंबर, 2024 का विवादित निर्णय और अंतिम आदेश रद किया जाता है. हम अध्यक्ष को निर्देश देते हैं कि वे वर्तमान अपील से संबंधित 10 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता की कार्यवाही को यथाशीघ्र, और किसी भी स्थिति में इस फैसले की तारीख से 3 महीने की अवधि के भीतर समाप्त करें. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अध्यक्ष अयोग्य ठहराए जाने की मांग करने वाले किसी भी विधायक को कार्यवाही को लंबा खींचने की अनुमति नहीं देंगे और यदि कोई विधायक कार्यवाही को लंबा खींचने का प्रयास करता है, तो अध्यक्ष ऐसे विधायकों के विरुद्ध प्रतिकूल निष्कर्ष निकालेंगे.
शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि संसद को दलबदल विरोधी कानून के तहत विधायकों की अयोग्यता की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष नियमित रूप से ऐसी कार्यवाही में अत्यधिक देरी करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दलबदलुओं के खिलाफ कार्रवाई विफल हो जाती है. पीठ ने जोर देकर कहा कि इससे लोकतंत्र को खतरा है. इस मामले में विस्तृत निर्णय आज दिन में बाद में अपलोड किया जाएगा. शीर्ष न्यायालय का यह निर्णय उन याचिकाओं पर आया, जिनमें तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस के 10 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय लेने में कथित देरी का मुद्दा उठाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने कांग्रेस में शामिल हुए 10 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्यवाही पर तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समय पर कार्रवाई करने की मांग की है.
सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए तीन बीआरएस विधायकों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाओं से संबंधित तेलंगाना उच्च न्यायालय के नवंबर 2024 के फैसले को चुनौती दी गई है. शीर्ष अदालत के समक्ष दूसरी याचिका शेष 7 विधायकों से संबंधित है, जिन्होंने दलबदल किया था. पिछले साल नवंबर में, तेलंगाना उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष को तीनों विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर उचित समय के भीतर फैसला करना होगा. खंडपीठ का यह फैसला एकल न्यायाधीश के 9 सितंबर, 2024 के आदेश के खिलाफ अपील पर आया. इसमें तेलंगाना विधानसभा के सचिव को निर्देश दिया गया था कि वे अयोग्यता की मांग वाली याचिका को अध्यक्ष के समक्ष 4 सप्ताह के भीतर सुनवाई का कार्यक्रम तय करने के लिए प्रस्तुत करें




