रायपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें मंत्रिपरिषद द्वारा भारत सरकार के खान मंत्रालय के नवीन दिशा–निर्देश और प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना-2024 के संशोधित गाईडलाईन्स के अनुसार छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम, 2015 में आवश्यक संशोधन किये जाने का निर्णय लिया गया है। यह राशि 70 प्रतिशत से अधिक उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र जैसे–पेयजल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च की जाएगी। मंत्रिपरिषद की निर्णयों की जानकारी देते शासकीय प्रवक्ता एवं नगरीय निकाय मंत्री अरूण साव ने बताया कि डीएम फंड को लेकर पिछले कई दिनों से विवाद चला आ रहा था, जिसमें कमीशन खोरी तथा रिश्वत को लेकर सभी चर्चा आम हो गई थी। जिसको देखते हुए अब राज्य सरकार ने इस अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन करने क निर्णय लिया है। डीएम फंड की राशि कलेक्टर निर्देशानुसार की जाती है। आए दिन विधानसभा में इसको लेकर प्रश्र उठते रहते हैं, इसलिए सरकार ने इस राशि को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में खर्च करने का निर्णय लिया है। ज्ञात रहे जिलाधीश से लेकर सीईओ तक इस राशि को लेकर संदेह के दायरे में थे।
उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों खर्च की जाएगी राशि
अरूण साव ने बताया कि मंत्रिपरिषद द्वारा लिए निर्णय के अनुसार इससे न्यास के पास उपलब्ध राशि का न्यूनतम 70 प्रतिशत राशि का व्यय उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र जैसे पेयजल आपूर्ति, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, महिला एवं बाल कल्याण, वृद्ध एवं नि:शक्तजन के कल्याण के साथ ही कौशल विकास एवं रोजगार, स्वच्छता, आवास, पशुपालन के समग्र विकास पर किया जाएगा। नगरीय निकाय मंत्री एवं प्रवक्ता अरूण साव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि मंत्रिपरिषद द्वारा साधारण रेत के उत्खनन और परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण तथा रेत के उत्खनन एवं नियमन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ गौण खनिज साधारण रेत (उत्खनन एवं व्यवसाय) नियम 2019 एवं छत्तीसगढ़ गौण खनिज साधारण रेत उत्खनन एवं व्यवसाय (अनुसूचित क्षेत्र हेतु) नियम 2023 को निरसित करते हुए नवीन नियम ”छत्तीसगढ़ गौण खनिज साधारण रेत (उत्खनन एवं
व्यवसाय) नियम-2025” का अनुमोदन किया गया।
उचित दरों में रेत दिलाने का निर्देश
इससे रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे, जिससे आम जनता को उचित दरों पर रेत उपलब्ध हो सकेगी। साथ ही रेत उत्खनन में पर्यावरण और सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाएगा। प्रस्तावित नियमों में रेत खदान आवंटन की कार्यवाही इलेक्ट्रॉनिक नीलामी के माध्यम से की जाएगी। इससे राजस्व में भी वृद्धि होगी। मुआवजे के लिए हेक्टेयर में होगा हिसाबनगरीय निकाय मंत्री अरूण साव ने बताया कि कृषि भूमि के बाजार मूल्य दरों के निर्धारण के संबंध में छत्तीसगढ़ शासन के वाणिज्य कर पंजीयन विभाग से प्राप्त प्रस्ताव का मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन किया गया, जिसके तहत ग्रामीण कृषि भूमि के बाजार मूल्य की गणना के लिए 500 वर्गमीटर तक के भू–खण्ड की दर को समाप्त करते हुए सम्पूर्ण रकबा की गणना हेक्टेयर दर से की जाएगी। भारतमाला परियोजना और बिलासपुर के अरपा भैंसाझार में जिस तरह की अनियमितताएँ सामने आई थीं, उनसे बचने के लिए यह व्यवस्था मददगार होगी। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र की परिवर्तित भूमि का मूल्यांकन सिंचित भूमि के ढाई गुना करने के प्रावधान को विलोपित करने के साथ ही शहरी सीमा से लगे ग्रामों की भूमियों और निवेश क्षेत्र की भूमियों के लिए वर्गमीटर में दरों का निर्धारण किया जाएगा।




