अकलतरा विकासखंड के सबसे प्राचीन एवं विशिष्ट शाला जिसका स्थापना वर्ष सन 1952 को है जो गत दो दिन के भरी बारिश के वजह से भरभराकर गिर गया था रात्रिकालीन में जिसकी जानकारी शाला संचालन के पूर्व शाला के प्रधान पाठक श्री जयंत सिंह क्षत्रिय ने मोबाइल के वॉट्सएप के माध्यम से वीडियो बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी,विकासखंड शिक्षा अधिकारी अकलतरा सीईओ जनपद पंचायत एस डी ओ आरईएस सहित इंजीनियर्स को दिया ।ज्ञात हो कि शाला भवन अति प्राचीन होने के कारण अति जर्जर अवस्था में है और उक्त भवन को डिस्मेंटल करने का प्रस्ताव शाला प्रबंधन समिति की बैठक में प्रस्ताव बनाकर प्रधान पाठक का अभिमत अनेकों बार उच्च कार्यालय में आवेदन प्रेषित कर चुके है यहां तक कि शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष तुरपाल सिंह जी और लवकुमार दुबे जी संयुक्त रूप से भी आवेदन कलेक्टर महोदय को जनसमस्या निवारण शिविर जांजगीर में दे चुके है जिस पर उनके द्वारा त्वरित कार्यवाही करने का निर्देश दिया था जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी महोदय ने प्रधान पाठक को पत्र व्यवहार भी किया है जिस पर विभिन्न अधिकारियों से मिलकर कार्यवाही करने हेतु उल्लेख किया गया है। अब प्रश्न यह उठता है कि इतने पुराने जर्जर भवन जिसको स्थानीय सीमेंट फैक्ट्री द्वारा बनाया गया था जो कि डिस्मेंटल करने योग्य है और पुनः उसको नवीन भवन स्वीकृत कर बनाने योग्य है जिस पर जिम्मेदार अधिकारीगण विशेष रुचि नहीं लेकर अन्य विभाग का हवाला देकर अपने अपने दायित्व से मुख मोड रहे है जिसके खामियाजा किसी भी दिन दुर्घटना होने की आशंका व्यक्त किया जा सकता है और छात्र छात्राओं पर अनहोनी होने की संभावना बनी हुई है क्योंकि प्राथमिक शाला एवम पूर्व माध्यमिक शाला अमोरा सागरपारा को युक्तियुक्तकरण के तहत समायोजित कर दिया गया है और एक ही प्रांगण में दोनों शाला संचालन किया जा रहा है और प्राथमिक विद्यालय तथा पूर्व माध्यमिक विद्यालय को मिलकर लगभग डेढ़ सौ से भी विद्यार्थी अध्ययन अध्यापन कार्य करते है।अब समस्या यह है कि युक्तियुक्तकरण के तहत शाला के समायोजित होने से शाला का प्रभार पूर्व माध्यमिक शाला अमोरा के प्रधान पाठक पर संयुक्त प्रभार है और ऐसी स्थिति में शाला संचालन दो पालियों के करने से विभागीय अड़चन आने की संभावना जताई जा रही है।ग्राम पंचायत अमोरा के सरपंच श्रीमती सुधा नवल सिंह ने तत्काल मौके पर आकर निरीक्षण कर छात्राओं को शौचालय जाने हेतु प्रधान पाठक कक्ष और शिक्षकों के बने हुए शौचालय का उपयोग करने हेतु निर्देश भी किया है।अतः शाला भवन जर्जर है जिस पर नौनिहालों की भविष्य अंधकारमय प्रतीत होती नज़र आ रही है और शिक्षक बेचारे आवेदन प्रेषित कर कर थक जा रहे है परंतु जिम्मेदार है कि सुनकर भी अनसुने कर रहे है जो कि चिंता का विषय है।




