शराब पकड़ने बना विभाग आबकारी बनाम सफेद हाथी
अकलतरा और मुलमुला थाना क्षेत्र में शराब बेचने वाले और पीने वाले सक्रिय हैं साथ आबकारी अधिकारी भी इन दिनों शराब पकड़ने में पूरी तरह सक्रिय हैं लेकिन अब तक आबकारी विभाग की ओर से शराब पकड़ने की खबरे नहीं सुनाई दे रही है । कहने का मतलब है कि आबकारी विभाग के पुलिस से ज्यादा सक्रिय शराब बनाने वाले और बेचने वाले हैं जो खुले आम शराब बनाने के बावजूद नहीं पकड़े जाते हैं। बताया जा रहा है इन दिनों कोटमी सोनार में जुआ और शराब दोनों के शौकीन रात-दिन जुट रहे हैं और गांव का माहौल भी खराब हो रहा है और गांव वालों के अनुसार आये दिन आबकारी विभाग की गाड़ी गांव में देखी जाती हैं लेकिन अफ़सोस आबकारी अधिकारी शराब बनाने वाले को पकड़ नहीं पाती है और गाड़ी यू ही लौट जाती है । इसी तरह मुलमुला के लोगों का भी कहना है कि आबकारी विभाग गांवों में छापा तो मारता है लेकिन आज तक एक भी केस दर्ज नहीं किया जाता है और एकाध – दो जो केस दर्ज किया जा रहा है वो ज्यादातर धारा 34 क या 34 ख में दर्ज किया जा रहा है जिसमें थाने से ही जमानत हो जा रही है आबकारी विभाग की सुस्त-चुस्ती का नतीजा है कि हर गांव में गली-गली में शराब और गांजा बिक रहा है और जल्दी अमीर बनने इस रास्ते को अपना रहा है । इस विषय में गांव वालों का कहना है कि शिकायत करने पर शराब बनाने वाले और बेचने वाले हमें गाली-गलौज और मारपीट की धमकी देते हैं इसलिए अपने बच्चों, अपने लोगों को संभाल कर रखने के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं । शराब की रेलमपेल आज गांव और शहर में है और इस मामले में आम आदमी थानो में पदस्थ पुलिस को गाली देती है जबकि शासन द्वारा आबकारी विभाग केवल नशापान पकड़ने के लिए बनाया गया और आंकड़ों को देखा जाए तो आबकारी विभाग की कार्रवाई शून्य है । आबकारी विभाग से ज्यादा कार्यवाही थाना प्रभारी कर रहे हैं जबकि यह उनका काम नहीं और थाना में अपराध के इतने केस होते हैं कि थाना प्रभारी के लिए आबकारी ओवरटाइम की तरह है लेकिन फिर कभी लोगों का दबाव, अखबारों का दबाव और क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने पुलिस शराब पकडता है लेकिन आबकारी विभाग केवल कमीशन का रहा है




