अकलतरा के प्रथम विधायक
अकलतरा नगर में युक्तियुक्तकरण नीति को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहे हैं । क्योंकि 1919 में स्थापित कुंवर भुवन भास्कर सिंह स्कूल अकलतरा की धरोहर है जिस समय देश में आजादी के आंदोलन का शंखनाद हो रहा था जैसे जनरल डायर का आना , लाला लाजपत राय का लाठीचार्ज में शहादत और उसके बाद जालियांवाला बाग हत्याकांड इन घटनाओं ने देश वासियों को आंदोलित कर दिया था । देश के युवा इस लड़ाई में अपना योगदान देने उमड़ रहे थे । उस समय अकलतरा में भी देश को आजादी दिलाने ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर जैसे नेता पूरी तरह राष्ट्रीय फलक पर आ चुके थे । उसी समय छेदीलाल बैरिस्टर के छोटे भाई कुंवर भुवन भास्कर भी अपनी स्नातक की पढ़ाई नागपुर से पूरी कर आजादी के परिदृश्य में दिखाई देने लगे थे । नागपुर में स्नातक के दौरान उनके साथ किशोर साहू भी पढ़ रहे थे जो बाद में ब्लैक एंड व्हाइट जमाने की फिल्मों के निदेशक बने । बिसाहू दास महंत, भवानी प्रसाद शुक्ल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्यामाचरण शुक्ल उनके समकालीन थे । कुंवर भुवन भास्कर नागपुर में होने वाली राष्ट्रीय कांग्रेस सभा की मीटिंग में जाने लगे और देश की गुलामी और उससे उपजे कष्ट से वे गुस्से और दुख से द्रवित होने लगे थे । नागपुर में स्नातक करने के दौरान उन्होंने असहयोग आंदोलन को करीब से देखा और और हिस्सा भी लिया । देश की दूर्दशा और गुलामी देख उनकी खून भी उबाल मारता था जब 1930 में महात्मा गांधी के आह्वान पर पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन चल रहा था तो उस पर उन्होंने भी इसमें अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई और कुल 18 माह जेल में बिताए और 1942 के असहयोग आंदोलन में भी वे कांग्रेस के छत्र तले आंदोलन में तन-मन-धन से शामिल थे । देश को आजादी मिलने के बाद तत्कालीन जांजगीर तहसील में उन्हें जनपद सभा के शिक्षा उफ़ समिति का अध्यक्ष बनाया गया और उसके बाद उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया ।
कुंवर भुवन भास्कर स्कूल में पौराणिक कथाओं से देशभक्ति की अलख जगाई
उस समय स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था करना टेढ़ी खीर होती थी तब किसी ब्राह्मण की पूरी गृहस्थी की व्यवस्था कर स्कूल में पढ़ाने राजी करना पड़ता था और वे फिर शिक्षा देते थे । जब 1919 में प्राइमरी स्कूल की स्थापना हुई तो ऐसे ही पंडित गुनाराम दुबे उनके पहले शिक्षक बने । उस समय रामायण और अन्य ऐतिहासिक कथानकों के रुपक से लोगों में देशभक्ति जगाई जाती थी और हिंदी भाषा और छत्तीसगढ़ी बोली के सम्मिश्रित संवाद शिक्षित और अशिक्षित दोनों ही लोगों को रुचिकर लगते और अंग्रेजों को राक्षसों का अवतार बताकर उन्हें देश से भगाने युद्ध में हराने का संदेश देते जिन्हें देखने कभी-कभी अंग्रेज़ भी आते और नाटक का मजा लेते । देश की गुलामी से आजादी के दौर को इस स्कूल ने देखा है । उस जमाने में यही एकमात्र स्कूल था जहां उस समय के सभी लोगों ने शिक्षा ली और जो अनेक महान विभूतियों का गवाह रहा है ।
दो बार विधायक रहे हैं कुंवर भुवन भास्कर
1956 में नागपुर एंड बरार से मध्य प्रदेश अलग हुआ और 1957 में आम चुनाव हुए तब कुंवर भुवन भास्कर ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गए। 1962 में फिर चुनाव हुए और वे दोबारा जीत गए। विधायक रहने के दौरान उन्होंने अकलतरा में पानी की कमी को दूर करने 1969 परसाही नाला से पाइप लाइन बिछवाई । अकलतरा में चिकित्सा व्यवस्था की कमी देखते हुए उन्होंने हास्पीटल खुलवाने प्रयास किया और तत्कालीन सरकार राजी हो गयी तब विधायक कुंवर भुवन भास्कर ने उस समय के जाने-माने व्यवसायी ताराचंद बगड़िया के पिता जी और प्रभात ज्वेलर्स के दादाजी से आर्थिक सहयोग का आग्रह किया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया और उनके सहयोग से 1960 मे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अकलतरा की स्थापना हुई जिसे बाद में कुंवर भुवन भास्कर के नाम रखा गया
इस तरह के अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं और कार्य उन्होंने अकलतरा विधानसभा के लिए किया । पहले देश और उसके बाद अकलतरा क्षेत्र के अपना पूरा जीवन देने वाले विधायक कुंवर भुवन भास्कर विधायक रहते हुए 1969 में ह्रदयघात में निधन हो गया । आज उनके परिवार में उनके बेटे रवि सिसोदिया है और उनके ही परिवार से राघवेन्द्र सिंह अकलतरा के विधायक हैं । इसके पहले भी सौरभ सिंह विधायक रहे हैं । कह सकते हैं कि विधायक बनने का सिलसिला जो उन्होंने शुरू किया था, आज भी जारी है ।




