कोरबा प्रवासी पक्षीधाम कनकी में मानसून के आगमन का संदेश लेकर प्रवासी पक्षी दक्षिण पूर्व एशिया से पहुंचने लगे हैं. वैसे तो ग्राम कनकी कनकेश्वरधाम के नाम से कनकेश्वर महादेव भगवान शिव के लिए प्रख्यात है. लेकिन यहां दशकों से प्रवासी पक्षी भी प्रजनन के लिए आते हैं. हसदेव नदी का पानी और कनकी का पर्यावरण इन्हें खूब भाता है. तभी तो प्रवासी पक्षी मीलों का सफर तय कर इस गांव में आते हैं. प्रवासी पक्षियों के पहुंचने के बाद से ही स्थानीय लोगों और किसानों के चेहरे भी खिल गए हैं. इनका आगमन एक तरह से मानसून के शुरू होने का संकेत होता है. प्राचीन शिव मंदिर के इर्द-गिर्द के पेड़ों पर इनका निवास होता है. कनकी की दूरी जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर है. कनकी धाम प्राचीन शिव मंदिर के साथ ही प्रवासी पक्षियों के लिए भी मशहूर है. यहां ओपन बिल स्टॉर्क पक्षियों को मानसून के साथ ही खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है. गांव के लोगों का यह भी मानना है कि ये पक्षी सुख, समृद्धि और मानसून का संदेश लेकर आते हैं,समृद्धि का प्रतीत है ये पक्षी जो
दक्षिण पूर्व एशिया से कनकी आते हैं।जानकारों की मानें तो एशियन ओपन बिल स्टॉर्क पक्षी भारत उपमहाद्वीप के साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया के चीन, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका, इंडोनेशिया, म्यानमार, मलेशिया, फिलीपींस व सिंगापुर जैसे देशों में पाए जाते हैं. भारत में इन्हें घोंघिल कहा जाता है, यहां 20 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है. कनकी में भी 4 से 5 प्रजातियों के पक्षी आते हैं. ये सभी दक्षिण पूर्व एशिया का लंबा सफर तय कर कोरबा पहुंचते हैं,यहां की आबोहवा व पर्यावरण उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती हैं,वहीं यह ग्राम प्रवासी पक्षी के प्रजनन के लिए अच्छा होता है।




